कभी किसी को मुक्कमल जहां नहीं मिलता

कभी किसी को मुक्कमल जहां नहीं मिलता


हर कोई चाहता है खुशियां यहां
गम का सरोकार किसीको कहां
पर चाहने से हासिल कब हुआ है यहां
मिलता नहीं मुक्कमल किसी को जहां।

है प्रेम दुनिया में जरूरत सभी की
सबको फिर भी मिलता नहीं है करीबी
खुशनसीबी सबकी किस्मत में होती कहां
मिलता नहीं मुक्कमल किसी को जहां।

राहे तकदीर में कोई संग पाए
कोई मंजिलों पे खड़ा मुस्कुराए
मेहनत कर के भी किस्मत पे रोते यहां
मिलता नहीं मुक्कमल किसी को जहां।

कभी धूप में मिलता है ठंडा साया
कभी बारिशों ने आशियाना गिराया
नसीब अपना लेकर हर कोई आया यहां
मिलता नहीं मुक्कमल किसी को जहां।।

आभार – नवीन पहल – ०७.०८.२०२३ 🙏🙏

# आधे अधूरे मिसरे/ प्रसिद्ध पंक्तियां प्रतियोगिता हेतु 

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2 Comments

बहुत ही सुंदर सृजन

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Reena yadav

07-Aug-2023 11:10 PM

👍

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